शीर्षक: "दोस्ती का पुल"
एक बार की बात है, एक नदी के किनारे छोटा-सा गाँव था। गाँव में दो दोस्त थे—अर्जुन और रहीम। दोनों बचपन के दोस्त थे और हर रोज़ नदी किनारे खेला करते थे। नदी गाँव को दो हिस्सों में बांटती थी, लेकिन एक पुल न होने के कारण दोनों तरफ के लोग ज़्यादा मिल नहीं पाते थे।
एक दिन बारिश बहुत तेज़ हुई, और नदी में बाढ़ आ गई। गाँव के दोनों हिस्सों के लोग परेशान हो गए। अर्जुन और रहीम को समझ आया कि अब पुल बनाना बहुत जरूरी हो गया है।
दोनों ने गाँव वालों को समझाया, "अगर हम मिलकर पुल बनाएंगे, तो मुश्किलें आसान हो जाएंगी।" लेकिन गाँव के लोग संदेह में थे, "हमारे पास पैसे और सामान नहीं हैं, कैसे बनेगा पुल?"
अर्जुन और रहीम ने गाँव के युवाओं को इकट्ठा किया। वे जंगल से लकड़ी, पत्थर और रस्सी लेकर आए और दिन-रात मेहनत करके पुल बनाना शुरू किया। धीरे-धीरे बाकी गाँव वाले भी प्रेरित होकर उनकी मदद करने लगे।
आखिरकार, एकमहीने की मेहनत के बाद, गाँव में एक सुंदर और मज़बूत पुल बनकर तैयार हो गया। गाँव के दोनों तरफ के लोग पुल पर एक-दूसरे से मिलने लगे। दोस्ती, प्रेम, और एकता बढ़ गई।
गाँव वालों ने अर्जुन और रहीम का धन्यवाद किया, "तुमने साबित कर दिया कि मुश्किल काम भी आसानी से पूरे हो जाते हैं, अगर दिलों में दोस्ती और सहयोग हो।"
उस दिन से गाँव में पुल सिर्फ नदी ही नहीं, बल्कि दिलों को जोड़ने वाला सेतु बन गया।